देह में जो मदिरा है,
राजा बोला संकट है।
लग कतार जंचवाना है,
खून में किसके मदिरा है।।
सारी मदिरा मिटाउंगा,
खून भी साफ कराउंगा।
पुराना रक्त सब काला है,
नया सफेद बदलाना है।।
जिसमें जितनी मदिरा है,
उतना खून मिटाना है।
नये खून पे राशन है,
पुराने की कीमत कम है।।
काले को सफेद कराने,
पहुंचे सारे मैखाने।
मैखाने में लगी कतार,
हुआ पुराना खून बेकार।।
मैखाने में दुकान छुपी,
राजा पकड़ न ले कहीं।
खून बदलता चुपके चुपके,
मदिरा वापस नई मिले।।
बोतल चाहे आधी है,
मै का प्यासा आदी है।
काला जो सफेद बनादे,
उसकी चांदी चांदी है।।
जिसे खबर थी सीधे आड़े
मदिराबंदी है पखवाड़े।
छोटी बोतल आंगन छुपाई,
पेटी कहीं ठिकाने लगाई।।
राजा की है वाहवाई,
मै की आदत उसने भगाई।
प्रजा है बड़ी दिवानी,
मधु की है रीत पुरानी।।
किसे पता है कहीं किधर,
पीने वाले जाते जिधर।
राजा के जो साथी हैं,
वही सुरा के साकी हैं।।